April 24, 2025

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कानपुर नगर25फरवरी25*अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन के विरोध में कलम बंद हड़ताल

कानपुर नगर25फरवरी25*अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन के विरोध में कलम बंद हड़ताल

कानपुर नगर25फरवरी25*अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन के विरोध में कलम बंद हड़ताल

*_बार एसोसिएशन अध्यक्ष टुन्नु मिश्रा व महामंत्री महेंद्र कुशवाहा का सरकार खिलाफ विरोध प्रदर्शन_*

कानपुर बिल्हौर में अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता अधिनियम में किए गए संशोधनों से नाराज़ होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर कलम बंद हड़ताल कर दी। अधिवक्ताओं ने सरकार से पुराने एडवोकेटे एक्ट को पुनः लागू करने की मांग करते हुए नारेबाजी की और सरकारी कार्यालयों को बंद कर काम कह ठप कर दिया।
बिल्हौर तहसील में अधिवक्ताओं ने अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 2025 के तहत किए गए संशोधनों के विरोध में मंगलवार को एक बार फिर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक मिश्रा उर्फ टुन्नू, महामंत्री महेंद्र कुशवाह, लायर्स एसोसिएशन अध्यक्ष प्रवीण कटियार व महामंत्री राजीव कटियार के नेतृत्व में क़लम बंद हड़ताल कर विरोध प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और रजिस्ट्रार कार्यालय को बंद कराया। उन्होंने उन्होंने नवीन संशोधन के विभिन्न बिंदुओं का जिक्र करते हुए बताया कि एडवोकेट एक्ट 1961 के अपेक्षाकृत अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 2025 के ड्राफ्ट में अधिवक्ता हितों का ध्यान है। अधिवक्ता हित की मांगों को उठाने के लिए अधिवक्ताओं के महत्वपूर्ण हथियार न्यायिक कार्य से विरत रहने, हड़ताल या कार्य बहिष्कार पर रोक उनके संवैधानिक अधिकारों को खत्म करना बताया। उन्होंने कहा कि उक्त संशोधन के माध्यम से सरकार अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता छीनना चाहती है। नए संशोधन में अधिवक्ताओं की शिकायत पहुंचने पर जांच आदि का प्रावधान है जबकि उनकी सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया। कोई अधिवक्ता जिसको 3 वर्ष या उससे अधिक की सजा होती है या मामला विचाराधीन है को राज्य की एडवोकेट रोल लिस्ट से निष्कासित कर दिया जाए या नव आगंतुक अधिवक्ताओं को रजिस्टर्ड नहीं किया जाएगा और अधिवक्ताओं के व्यवहार की जांच हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट और सरकार द्वारा नामित कमेटी द्वारा की जाएगी, यह सर्वथा गलत है। इसमें अधिवक्ताओं के प्रोटेक्शन, इंश्योरेंस, मेडिकल, अपने के स्थान और मृत्यु होने पर किसी प्रकार के सहयोग पर विचार नहीं किया गया। उन्होंने नवीन संशोधन को अवैध करार देते हुए सरकार से इसे रद्द कर पुराना एडवोकेट एक्ट 1961 को पुनः लागू करने की मांग रखी।

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