July 27, 2024

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औरैया28अगस्त*अणुव्रत की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पूरे देश में आर्य समाज कर रही कार्य-*स्वामी सच्चिदानन्द*

औरैया28अगस्त*अणुव्रत की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पूरे देश में आर्य समाज कर रही कार्य-*स्वामी सच्चिदानन्द*

औरैया28अगस्त*अणुव्रत की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पूरे देश में आर्य समाज कर रही कार्य-*स्वामी सच्चिदानन्द*

*औरैया।* आर्य समाज ने हिन्दू धर्म को एक नवीन रूप दिया। उसने पुरापंथी हिन्दू धर्म का खंडन किया और वेदों को धर्म की आधारशिला और सत्य ज्ञान को मूल स्त्रोत माना। आर्य समाज ने अनेक देवी-देवताओं में विश्वास, मूर्ति-पूजा, ब्राहम कर्मकांड, बलि प्रथा, अवतारवाद तथा उन सभी कुरीतियों और विश्वासों की भत्र्सना की, उनका खंडन किया जिन्होंने हिन्दू समाज व धर्म को विकृत कर दिया। उसने वैदिक धर्म का प्रचार किया और वेदों पर आधारित मंत्र, पाठ, यज्ञ-हवन आदि पर बल दिया। उक्त विचार आर्य समाज मन्दिर में आयोजित पावन यज्ञ एवं सरस वेद कथा सप्ताह के अन्तिम एवं समापन दिवस में महोपदेशक एवं पूर्व प्राचार्य गुरूकुल विश्वविद्यालय, वृंदावन स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज द्वारा व्यक्त किये गये।
उन्होनें कहा कि आज के समय में यह बात चिन्तनीय है कि हिन्दू समाज और सनातन धर्म कैसे जागृत हो। स्वामी दयानंद सरस्वती के विषय में बताते हुये उन्होंने कहा कि वह प्रखर बुद्वि के राष्ट्रवादी सुधारक थे। उन्होंने भारतीय समाज मे प्रचलित बाल विवाह, पर्दा प्रथा, बहुविवाह, जाति प्रथा, अस्पृश्यता आदि बुराइयों को खत्म करने का सराहनीय कार्य किया। वे समाज की बुराइयों के कटू आलोचक थे। स्वामीजी ने स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह तथा अंतर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहित कर स्त्री समाज के उन्नयन का कार्य किया। उन्होंने विधवाश्रम तथा अनाथालयों की स्थापना की एवं समाज मे प्रचलित जादू-टोना एवं अंधविश्वासों को जड़मूल से समाप्त करने का अथक प्रयत्न किया। स्वामीजी ने समाज मे ब्राह्मणों के प्रभुत्व को खत्म कर सभी को वेदों का अध्ययन करने तथा अछूतों को भी उचित स्थान प्रदान करने का प्रयास किया। हांलाकि प्रारम्भ में समाज ने इन सुधारों को नहीं अपनाया किन्तु कलान्तर में इन समस्त कुरीतियों व प्रथाओं की आवश्यकता समझते हुये इनको अपनाया जाने लगा। आज पुनः समाज में आयी विकृतियों को दूर करने का चिन्तन समाज को करना होगा। इस अवसर पर बिजनौर से पधारे भजनोपदेशक पं0 श्री कुलदीप विद्यार्थी जी ने अनेकों भजनों से उपस्थित जनसमुदाय का मन मोह लिया। विद्वान रविन्द्र शास्त्री ने आर्य समाज के सिद्वांतों पर प्रकाश डालते हुये आर्य समाज के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उधर प्रेस वार्ता में एक सवाल का जबाब देते हुये भजनोपदेशक कुलदीप विद्यार्थी जी ने कहा कि पूरी दुनिया में सबसे बड़ा काम है मानव को मानव बनाना। उन्होंने कहा कि मानवीकरण के लिए भी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा नशा नाश का द्वार है। अणुव्रत की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से पूरे देश में आर्य समाज कार्य कर रही है। कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आप नहीं जानते हैं, आवश्यकता है तो बस उसे अपने जीवन में अपनाने की। सब जानते हुए भी हम दुःख वाले रास्ते को अपनाते हैं, जिससे अन्ततः हमें दुःख ही मिलता है, इस पर हमें चिंतन करना होगा।
अंत में आर्य समाज के प्रधान अंजना जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुये कार्यक्रम की सफलता के लिए डा सर्वेश आर्य, मंत्री देवेश शाक्य, प्रमोद पुरवार, कोषाध्यक्ष कृष्ण कुमार दुवे, राजेश, आनन्द, वेद प्रकाश आर्यवीर, ओमप्रकाश वर्मा सहित अन्य सभी पदाधिकारियों व सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।

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