औरैया 28 जनवरी *श्रीमद् भागवत कथा में पहलाद चरित्र का हुआ व्याख्यान*
*बिधूना,औरैया।* बिधूना तहसील के अंर्तगत ग्राम भदौरा में कथावाचक सुश्री मुस्कान ठाकुर के मुखारबिंद से भागवतकथा में प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाई गई। जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार से भक्त के वश में है भगवान, यदि भक्त चाहे तो वो अपनी भक्ती से ईश्वर को अपने वश में कर सकता है। कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया।परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांतआवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया। साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है , और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। सरस् कथा वाचक सुश्री मुस्कान ठाकुर ने महाभारत रामायण से जुड़े विभिन्न प्रसंग सुनाए। साथ ही उन्होंने कहा कि परम सत्ता में विश्वास रखते हुए हमेशा सद्कर्म करते रहना चाहिए। सत्संग हमें भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। सरस् कथा वाचक के पिता आदरणीय धीरेंद्र प्रताप सिंह गौर, साथ में ढोलक मास्टर राजमणि अवस्थी, पैड मास्टर लखन भदौरिया, ऑर्गन मास्टर सुरेश यादव, आयोजक अतुल अवस्थी आदि श्रीमद् भागवत कथा को रोचक बनाने का काम कर रहे हैं।
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