December 11, 2024

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अनूपपुर11अक्टूबर24*इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया

अनूपपुर11अक्टूबर24*इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया

अनूपपुर11अक्टूबर24*इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया

अनूपपुर (ब्यूरो राजेश शिवहरे)10 अक्टूबर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश के मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के मार्गदर्शन में ‘मेंटल हेल्थ ऑन वर्क’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. प्रज्ञेश कुमार मिश्रा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यह कहा की कार्य स्थल पर मानसिक स्वास्थ्य का केंद्रीय विचार यह है कि एक सकारात्मक और सहयोगी माहौल में काम करने से कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, जिससे उनकी उत्पादकता और कार्य क्षमता बढ़ती है। कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर ही कर्मचारियों में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है। इसलिए कार्यस्थल पर एक ऐसा वातावरण तैयार किया जाना चाहिए जहाँ लोग अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सकें, सही संतुलन बना सकें, और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समर्थन पा सकें।

इसी क्रम में मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अभय प्रताप सिंह ने कहा की उत्तम मानसिक स्वास्थ्य हमारे संपूर्ण जीवन की गुणवत्ता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। मानसिक स्वास्थ्य का तात्पर्य हमारे सोचने, समझने, और महसूस करने की बेहतर क्षमता के साथ-साथ हमारे निजी और कार्यस्थल के क्रियाकलापों में तनाव प्रबंधन, योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने, संबंधों में सामंजस्य और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। मानसिक स्वास्थ्य का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हम मानसिक रूप से सशक्त हों ताकि हम जीवन की चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकें और व्यक्तिगत व सामाजिक रूप से संतुलित और संतुष्ट जीवन जी सकें।

उच्च शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों के तनाव प्रबंधन पर विचार व्यक्त करते हुए मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य आर्ष ओजश परासर पाण्डेय ने कहा की उच्च शिक्षा में छात्रों को शैक्षिक दबाव, समय प्रबंधन, आर्थिक चिंताओं और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन की चुनौतियों का सामना करते हुए उन्हें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखना आवश्यक है। तनाव प्रबंधन तकनीकों जैसे कि योग, ध्यान, सकारात्मक सोच, और समय प्रबंधन के अभ्यास से छात्र अपने तनाव को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे उनकी शिक्षा में सफलता और समग्र जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित एक मूवी विद्यार्थियों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के प्रति जागरूक करने हेतु दिखाया गया । इस फिल्म की कहानी एक 11 साल की बच्ची राइली की भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। जब राइली का परिवार मिनेसोटा से सैन फ्रांसिस्को शिफ्ट होता है, तो उसकी जिंदगी में कई बदलाव आते हैं। इस बदलाव का उसकी भावनाओं पर गहरा असर होता है। राइली के दिमाग के अंदर खुशी (Joy), दुख (Sadness), गुस्सा (Anger), डर (Fear), और नफरत (Disgust) नाम की पाँच भावनाएँ हैं, जो उसके हर एक अनुभव और भावना को नियंत्रित करती हैं। मुख्य कहानी तब शुरू होती है जब खुशी और दुख राइली के दिमाग से खो जाते हैं, और बाकी भावनाएँ उसका सही तरीके से मार्गदर्शन नहीं कर पातीं। इस यात्रा में खुशी और दुख यह समझते हैं कि कैसे सभी भावनाएँ ज़रूरी हैं और मिलकर ही इंसान को संपूर्ण बनाती हैं। अंततोगत्वा यह फिल्म दर्शकों को यह संदेश देती है कि जीवन में हर भावना का अपना महत्व है और हर एक अनुभव का हमारी यादों में खास स्थान होता है।

कार्यक्रम का सफल संचालन मनोविज्ञान विभाग के छात्र बी. प्रशांत नायडू ने तथा आभार ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग के शोधार्थी पियूष त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग के सभी विद्यार्थी सहित तथा कर्मचारी उपस्थित रहे।

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